भारत का जनतंत्र अत्याचार पर सबार
अति स्वयं मे छति है अतिवाद है आधार
किन्तु कुछ नहीं बहुत गलत कहता देश का कंर्धार
पूछो बता देगा टाटा बिरला अम्बानी सिब्बल या शरद पवार
गरीबो का बखरा क्या न अखरा दो हजार का जोतैदार
बी पि मनडल नाम था शायद जैशा कहता है अख़बार
पिछरी जाती मे अवतार धनि वग्र से जुरता तार
डा ० लोहिया रोकते रह गये फिर भी तोर दिया सरकार
Friday, February 3, 2012
आदमी दिवालिया से क्या कहू
आदमी दिवालिया से क्या कहू
आदमियत ही न तो क्या आदमी
मंच पर प्रपंच भी जब दीखता
क्या बताता यह नहीं क्या आदमी
आदमियत ही न तो क्या आदमी
मंच पर प्रपंच भी जब दीखता
क्या बताता यह नहीं क्या आदमी
आजादी की दूसरी लराई
जो हमारे दिल मे है जन लोकपाल बिल मे है
जो हमारे हित मे है अन्ना जी के चित मे है
अन्ना अन्ना अन्ना है देश की तमन्ना है
जो हमारे हित मे है अन्ना जी के चित मे है
अन्ना अन्ना अन्ना है देश की तमन्ना है
Tuesday, May 11, 2010
बवाल न मचाए आपकी जुबान
बोलने से पहले न तौलने की आदत कई बार बोलने वाले को काफी हास्यास्पद स्थिति में डाल देती है, तो कई बार बेवजह का बवाल भी पैदा कर देती है। इसीलिए बोलने से पहले सोचने का अक्सर सुझाव दिया जाता है। कई बार बोलने वाले का मंतव्य बड़ा सीधा होता है, लेकिन उसका असर उल्टा पड़ जाता है।
Saturday, May 8, 2010
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